एक समय की बात है एक बहुत बड़े साम्राज्य का एक बहुत शक्तिशाली राजा था. उस राजा की एक बहुत बुरी बात थी, वो बुरी बात यह थी कि अगर उस राजा के शासन में किसी से कोई गलती हो जाती थी तो उसकी सज़ा सिर्फ एक ही थी कि उस राजा के पास 10 जंगली कुत्ते थे और वो राजा उस गलती करने वाले आदमी को उन जंगली कुत्तों के सामने डाल देता था.
वो कुत्ते उस इंसान को बहुत बुरी मौत देते थे, उस इंसान को इस तरह तडपा तडपा कर मारते थे, उसका मांस फाड़ देते थे कि उस इंसान को बहुत दर्दनाक मौत मिलती थी.
तो गलती चाहे किसी से भी हो, सबकी सज़ा यही थी, इसलिए सब उस राज्य में बड़े खौफ़ से रहते थे. तो एक बार उस राज्य के महामंत्री से एक भूल हो जाती है एक गलती हो जाती है और वो गलती हिसाब करने में होती है.
अब वो महामंत्री राजा से माफ़ी भी मांगता है कि मैं इतने सालों से काम कर रहा हूं, मुझसे हिसाब में कुछ गलती हो गई मुझे माफ़ कर दीजिए.
परन्तु राजा बोलता है कि महामंत्री जी आपको तो पता ही है कि हमारे राज्य में गलती की सिर्फ एक ही सज़ा है और वो सज़ा आपको भी मिलेगी, आप कुछ अलग नहीं है. अगर मैंने आपको छोड़ दिया तो प्रजा में बड़ा गलत संदेश जाएगा.
इसलिए मैं आपको नहीं छोड़ सकता.
अब महामंत्री को जब पता लगता है कि उससे भी वही सज़ा मिलने वाली है कि उसे भी 10 जंगली कुत्तों के सामने डाल दिया जाएगा, तो वो राजा से बोलता है कि मेरी एक आखरी इच्छा है. तब राजा उसे अपनी आखरी इच्छा बताने को बोलता है.
तो वो महामंत्री राजा को बोलता है कि आप मुझे सज़ा बेशक यही दीजिएगा कि मुझे उन कुत्तों के सामने डाल देना, लेकिन आप मुझे 15 दिन की मोहलत दे दीजिए, मुझे 15 दिन के बाद सज़ा दे दीजिए, मैं राज्य से बाहर भी नहीं जाऊंगा, राज्य के अंदर ही रहूँगा.
तब राजा उस महामंत्री की यह बात मान जाता है.
अब 15 दिन के बाद उस महामंत्री को लाया जाता है. तब वो राजा खुद साथ चलता है कि महामंत्री को उन जंगली कुत्तों के सामने छोड़ दिया जाएगा. अब महामंत्री को उस बेड़े में छोड़ दिया जाता है जिसके अंदर उस को कुत्तों के सामने डाला जाएगा.
राजा ऊपर से देख रहा होता है कि वो कुत्ते महामंत्री को काट नहीं रहे, महामंत्री के उपर कुत्ते भोंक नहीं रहे बल्कि उसे चाट रहे हैं, उसे प्यार कर रहे हैं.
तो रजा को कुछ समझ नही आ रहा होता कि ये जंगली कुत्ते किसी के साथ भी ऐसा नहीं करते परन्तु ये महामंत्री से इतना लगाव क्यों कर रहे हैं !!
राजा हैरान हो जाता है, तब नीचे से महामंत्री मुस्कुरा के बोलता है प्रभु मुझे पता है कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है, आप मुझे उपर बुलाएं तो मैं आपको बताऊं कि ऐसा क्यों हुआ.
राजा उसे उपर बुलाता है. महामंत्री को सभा में बुलाया जाता है और ,महामंत्री राजा के सामने आ के खड़ा हो जाता है.
तब वो महामंत्री बताता है कि जो आपने मुझे 15 दिन की मोहलत दी थी उन 15 दिनों में मैंने इन कुत्तों की बहुत सेवा करी, इनके साथ एक रिश्ता बनाया, इनको नहलाया, इनको खाना खिलाया, इनके साथ मैं रहा.
इनके साथ खेलते कूदते हुए हमारी दोस्ती हो गई, इसलिए अब ये कुत्ते मुझे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, ये अब मुझसे प्रेम करते हैं.
राजा कहता है लेकिन मेरे वचन का क्या होगा. तब महामंत्री बोलता है कि आपका वचन था कि आप इन कुत्तों से सामने डालेंगे और आपने मुझे कुत्तों के सामने डाला भी है, उन्होंने कुछ किया नहीं वो अलग बात है !!
तो राजा मुस्कुरा के बोलता है कि अब तुमें छोड़ दिया जाए. महामंत्री बोलता है कि महाराज मैं एक बात और आपको बोलना चाहता हूं, उन कुत्तों की तो मैंने बस 15 दिन सेवा करी और उन कुत्तों का हृदय परिवर्तन हो गया और आपके साम्राज्य के लिए मैंने सालों की सेवा करी लेकिन आपने उसे बिलुकल अनदेखा कर दिया, यह मुझे बहुत बुरा लगा !!
तो दोस्तो, हमारी जिंदगी में भी ऐसा बहुत बार होता है, हम लोगों के लिए जिंदगी भर बहुत कुछ करते हैं पर जब कद्र करने का वक़्त आता है तो लोग कद्र नहीं करते और किसी के लिए कुछ ही दिन आप कर दो तो उसके लिए आप भगवान रूप बन जाते हो.